किन चीजों से होती है एलर्जी: एवं एलर्जी टेस्टिंग
तेज़ी से बदलते मानवीय परिवेश एवं वातावरण से मनुष्य का शरीर तालमेल नहीं बैठा पा रहा है।
औऱ इस वजह से एलर्जी, कैंसर , डायबिटीज जैसी बीमारियों में तेज वृद्धि हुई है।
इस समय लगभग 25 प्रतिशत बच्चे एवं वयस्क किसी न किसी तरह की एलर्जी से पीड़ित हैं।
एलर्जी संबंधित बीमारियों में सर्वाधिक प्रमुख हैं
1. Allergic Rhinitis ( नाक की एलर्जी)
2. बच्चों एवं बड़ों का अस्थमा
3. Atopic Eczema ( त्वचा की एलर्जी)
4. क्रोनिक Urticaria (त्वचा की एलर्जी)
5. Angioneurotic oedema ( होठों में सूजन,)
6. Anaphylaxis ( अचानक रिएक्शन से शॉक अथवा मृत्यु होना )
7. आंखों की एलर्जी
8. फ़ूड एलर्जी जैसे दूध, अंडे या मूंगफली की वजह से पेट दर्द , Diarrhea इत्यादि।
आम तौर पर एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को लक्षण हर कुछ दिन, कुछ सप्ताह अथवा माह में रिपीट होते रहते हैं।
इस वजह से वे चावल, केले, अंगूर, आम , टमाटर , दही ,नींबू जैसी अनेकों चीजों को खाना बंद कर देते हैं। उन्हें लगातार घर वाले सलाह देते रहते हैं ये करो वो न करो।
अरे तुम क्या बार बार बीमार होते रहते हो।
तुम्हारा खान पान सही नहीं है।
कहीं तुम काम से बचने बहाना तो नहीं मार रहे।
और ऐसे में व्यर्थ की खाने पीने की रोकथाम से मरीज़ की समस्या तो ठीक होती नहीं वरन पोषक तत्वों की कमी शरीर मे अवश्य होने लगती है।
ऐसे में क्या इन मरीजों को किस चीज़ से एलर्जी है किसी जांच से पता लगाया जा सकता है?
तो उत्तर है हां।
क्या बिना जांच के अंदाज़ा लगाया जा सकता है तो उत्तर है ..हाँ कुछ हद तक। लेकिन उस अंदाज़े का सिद्धांत सही होना चाहिए।
चलिए समझते हैं।
मैंने जबलपुर शहर में पिछले कुछ वर्षों में मेरे एलर्जी टेस्टिंग सेंटर के लगभग 1000 मरीजों का एलर्जी टेस्ट modified skin prick test से करने के बाद एक आंकड़ा एकत्र किया।
देखने में आया कि सांस संबंधित एलर्जी जैसे नाक की एलर्जी, बार बार सर्दी होना या अस्थमा होने में बेहद ही कम मरीजों में खाने संबंधित एलर्जी पाई गई। जबकि वे बच्चे एवं बड़े व्यर्थ के बहुत से परहेज़ खाने में किये हुए थे। एक 7 वर्ष के बच्चे को तो उसकी माँ ने 6 माह से चावल और फल खाने नहीं दिए थे।
अधिकांश को किसी झाड़ी, घास, पौधे के पराग कण अथवा घर की धूल में मौजूद महीन dust mites, cockroach, बिल्ली के बाल में मौजूद saliva के उड़ते कण, मकड़ी के जाले इत्यादि से एलर्जी अधिक मिली।
अर्थात ये पराग कण अथवा धूल के कीटाणु नाक में जा कर एलर्जी रिएक्शन करते हैं।
न कि खाई हुई चीजों से एलर्जी थी।
हालांकि कुछ मरीजों में केले, बैंगन, मूंगफली, अजीनोमोटो से एलर्जी मिली।
जबकि angioneurotic oedema , Urticaria , Atopic Eczema,Anaphylaxis के मरीजों में अधिकांशतः एलर्जी किसी खाने की चीज़ों से मिलीं।
जिनमें अंडे, दूध, मूंगफली, मशरूम, सी फ़ूड, सेब, टमाटर प्रमुख हैं।
उपरोक्त टेस्ट रिजल्ट्स दरअसल विश्व के अन्य हिस्सों में किये गए एलर्जी टेस्ट के रिजल्ट से मेल भी खाते हैं, बस एक बात को छोड़कर।
वह है.. हर शहर के पराग कण अलग हो सकते हैं।
जो एलर्जी करवाएं।
जैसे जबलपुर में मुझे गाजर घास ( Parthenium) pollen..
एवं Cynodon pollen ( दूबा घास) सर्वाधिक एलर्जी का कारक मिली सांस संबंधित एलर्जी में।
इसके बाद चावल एवं धान की धूल या भूसा इत्यादि।
एक भ्रम कि धुआं, मसालों की खुशबू या दाल बघारते समय खांसी अथवा छींक आना एलर्जी है ...नहीं यह एलर्जी नहीं है।
ये सभी नाक की झिल्ली mucosa को irritate करते हैं न कि एलर्जी करवाते हैं।
एलर्जी हमेशा जीवित चीजों से मिलने वाले कणों जैसे
प्रोटीन, hapten, अथवा polysaccharides से होती है। निर्जीव वस्तुओं से IgE mediated एलर्जी नही होती।
दूसरे प्रश्न का उत्तर:
स्किन एलर्जी टेस्ट से काफी हद तक जाना जा सकता है क्या सूट करेगा व्यक्ति को और क्या नहीं। रक्त सैंपल से भी एलर्जी टेस्ट होता है लेकिन यह अधिक महंगा होने के साथ ही गलत पॉज़िटिव रिजल्ट्स भी इसमें अधिक आते हैं । किन्तु food Allergy के लिए और बहुत छोटे बच्चों में यह तरीका अधिक उपयोगी है। क्योंकि 5 साल से छोटे बच्चे स्किन प्रिक टेस्ट नहीं करवाते।
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